मुगल साम्राज्य परीक्षा के लिए- Mughal Samrajya gk in Hindi

mughal samrajya| vansh | shask | Empire in gk Hindi: इस लेख में हम आपको मुगल साम्राज्य की पूरी जानकारी हिंदी (mugal vansh in hindi) में उपलब्ध करा रहे रहें हैं जो उन लोगों के लिए है जो किसी भी सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा की तैयारी कर रहें हैं। हमारे इस लेख की मदद आपको Mughal Empire बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर करने में काफी मदद मिलेगी। तो आइये जानते हैं मुगल साम्राज्य और उनके शासक के बारे में।

Mughal samrajya in hindi

भारत में मुगल साम्राज्य अब तक के सबसे महान साम्राज्यों में से एक था। मुगल साम्राज्य ने कई सालों तक करोड़ो भारतीयों पर शासन किया था।

बाबर (1526-1530):

तैमुर और और चंगेज खान का पोता बाबर भारत में पहले मुगल सम्राट थे। उन्होंने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई (battle of Panipat )में लोधी का सामना किया और उसे पराजित किया था। बाबर भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना के लिए आया। बाबर ने भारत में 1530 तक शासन किया। इसके बाद उसका बेटा हुमायूं अगला मुग़ल सम्राट बना।

  • बाबर ने मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी .
  • उसके द्वारा ही भारत में पहली बार बारूद यानि गन पाउडर का इस्तेमाल किया गया था.
  • पानीपत की पहली लड़ाई (1527 )बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच हुई थी जिसमें बाबर जीता था.
  • 1527 में बाबर और राणा सांगा ( संग्राम सिंह) के बीच खानवा का युद्ध हुआ था. इसमें राणा सांगा हार गए थे.
  • चंदेरी का युद्ध 1528 में बाबर ने मेदिनी राय को पराजित किया था.
  • अपनी आत्मकथा तुजुक -ए- बाबरी, तुर्की में लिखा था.

हुमायूँ (1530-1540 और 1555-1556)- Mughal samrajya in hindi

पिता बाबर के बाद उसका सबसे बड़ा बेटा हुमायूँ उत्तराधिकारी और मुगल साम्राज्य का दूसरा सम्राट बना। उसने दीनपनाह यानि कि दिल्ली को दूसरी राजधानी बनाया।। हुमायूँ में लगभग एक दशक तक भारत पर शासन किया, लेकिन अफगान शासक शेर शाह सूरी ने उसे बाहर कर दिया। अपनी हार के बाद हुमायूँ लगभग 15 वर्षों तक भटकता रहा। इस बीच शेरशाह सूरी की मृत्यु हो गई और हुमायूँ उसके उत्तराधिकारी सिकंदर सूरी को हराने में सफल रहा। इसके बाद उसने फिर से हिंदुस्तान को हासिल कर लिया। हालाँकि, इसके तुरंत बाद 1556 में 48 वर्ष उम्र में ही हुमायूँ की मृत्यु हो गई।

  • हुमायूँ ने दीनपनाह (दिल्ली) को दूसरी राजधानी राजधानी बनाया।
  • हुमायूँ  ने शेर शाह सूरी के साथ दो लड़ाइयां लड़ी  जिनमें चौसा का युद्ध (1539) और कन्नौज का युद्ध (1540) शामिल हैं।
  • हुमायूँ की जीवनी जिसका नाम “हुमायु नाम” था, उसकी सौतेली बहन गुलबदन बेगम द्वारा लिखी गई थी।
  • 1556 ई में अपने पुस्तकालय भवन की सीढ़ियों से गिरने की वजह से हुमायूँ की मृत्यु हुई थी।

शेर शाह सूरी (1540-1545)- Mughal Empire in Hindi

शेर शाह सूरी 1540 में हुमायूं को हराने के बाद मुगल साम्राज्य पर कब्जा करने वाला एक अफगान नेता था। भले ही शेर शाह ने दिल्ली के सिंहासन पर पांच साल से अधिक समय तक शासन नहीं किया, लेकिन उप-महाद्वीप में उनका शासनकाल एक मील का पत्थर साबित हुआ। एक राजा के रूप में शेर शाह सूरी ने कई कई उपलब्धियां हासिल की थी। उन्होंने एक कुशल सार्वजनिक प्रशासन की स्थापना की। शेर शाह सूरी ने ही भूमि की माप के आधार पर राजस्व संग्रह प्रणाली की स्थापना की थी। उसने आम आदमी को न्याय दिलवाया। उसने अपने छोटे शासन काल में कई निर्माण के करवाए। उसके द्वारा यात्रियों के लिए सराय के वृक्षों के रोपण के साथ, कुओं और भवन का निर्माण किया गया।

शेर शाह सूरी के द्वारा सड़कें भी बिछाई गईं। बता दें कि इसके शासन में ही दिल्ली से काबुल तक ग्रैंड ट्रंक सड़क बनाई गई थी। उसने मुद्रा को डैम (Dam) नामक चांदी के सिक्कों के साथ बदल दिया। हालांकि, शेर शाह सिंहासन पर ज्यादा पहुंचने के बाद ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहे। बता दें कि एक 5 साल (1540- 1545) के छोटे शासन काल के बाद 1545 में उसकी मृत्यु हो गई।

अकबर (1556-1605)

अकबर हुमायूँ का उत्तराधिकारी था जो उसके निर्वासन में पैदा हुआ था। बता दें कि अकबर सिर्फ 13 वर्ष का था जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। अकबर का शासनकाल मुग़ल शासन के इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। अकबर एक ऐसा शासक था जिसने वास्तव में मुगल साम्राज्य की नींव को मजबूत किया। लगातार कई विजयों के बाद वह भारत के अधिकांश हिस्सों पर अपना शासन करने में सफल रहा। जो भी क्षेत्र उसके साम्राज्य के अंतर्गत नहीं आते थे उसने उन्हें सहायक भाग के रूप में नामित कर दिया था। अकबर ने राजपूतों के प्रति एक उदारवादी नीति भी अपनाई, इससे उसने अपने प्रति खतरे को कम कर लिया था। अकबर न केवल एक मुग़ल शासक था बल्कि वो एक सक्षम आयोजक और एक महान प्रशासक भी था। उसने एक ऐसी संस्था की स्थापना की जो ब्रिटिश भारत में भी संचालित प्रशासनिक प्रणाली की नींव साबित हुई। अकबर को उसके गैर-मुस्लिमों के प्रति उसकी उदार नीतियों, उनके धार्मिक नवाचारों, भूमि राजस्व प्रणाली और उनकी प्रसिद्ध मनसबदारी प्रणाली के लिए भी जाना जाता है। 1605 में अकबर की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उसे आगरा के बाहर सिकंदरा में दफनाया गया। तीसरे मुग़ल शासक अकबर की मृत्यु के बाद पुत्र जहाँगीर ने राजगद्दी संभाली।

याद रखने योग्य बातें

  • अकबर ने गुजरात विजय पर बुलंद दरवाजे का निर्माण करवाया था।
  • पहले अंग्रेज राल्फ फिच थे जो1585 में अकबर के दरबार आया था।
  • 1564 में अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया और उसने सुलह -ए- कुल (सभी के लिए शांति) पर जोर दिया।
  • फतेहपुर सीकरी में इबादत खाना ( प्रार्थना के हॉल ) का निर्माण अकबर द्वारा करवाया गया था।
  • अकबर ने 1579 में अचूकता की डिग्री (Degree of infallibility) को भी जारी किया था।
  • 1582 में अकबर ने दीन -ए- इलाही की स्थापिना की।

जहांगीर (सलीम) (1605-1627)

अकबर के बाद उसके बेटे सलीम ने मुग़ल शासन को सफल बनाया। बता दें कि सलीम को जहांगीर की उपाधि मिली, जिसका मतलब होता था “विश्व का विजेता”। जहांगीर ने मेहर-उन-निसा (Mehr-un-Nisa) से शादी की। जहांगीर ने अपनी पत्नी को नूरजहाँ (दुनिया की रोशनी) की उपाधि दी। वह अपनी पत्नी को बहुत प्यार करता था और उसे अपने प्रशासन की पूरी बागडोर सौंप देता था। उसने कांगड़ा और किश्वर के अलावा भी साम्राज्य का विस्तार किया और बंगाल में मुगल शासन को मजबूती दिलाई। लेकिन बता दें कि जहाँगीर के पास अपने पिता की तरह राजनीतिक उद्यम नहीं था। लेकिन वो उदार और एक सहनशील शासक था। उसने समाज में सुधार के लिए कई कार्य किये और वह हिंदुओं, ईसाइयों और यहूदियों के प्रति सहिष्णु था। जहांगीर के सिखों के साथ संबंध तनावपूर्ण थे। जहांगीर के आदेश पर ही पांचवे सिख गुरु अर्जुन देव को मौत के घाट उतार दिया गया था। बता दें कि जहाँगीर के शासन में कला, साहित्य और वास्तुकला काफी समृद्ध थी। श्रीनगर का मुगल उद्यान (Mughal gardens) उसकी कलात्‍मक अभिरुचि का एक जीता- जागता सबूत है। वर्ष 1627 जहांगीर (सलीम) की मृत्यु हो गई थी।

याद रखने योग्य बातें

  • जहांगीर सिखो के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव को मरवाया था।
  • उसके द्वारा ही शाही न्याय के लिए आगरा फोर्ट पर ज़ंजीर  -ए- अदल की  स्थापना की गई थी।
  • कैप्टन हॉकिन्स और सर थॉमस रो ने जहांगीर के दरबार का दौरा किया था।
  • अब्दुल हसन, उस्ताद मंसूर और बिशनदास जहांगीर के शासनकाल के के प्रसिद्ध चित्रकारों में से थे।

शाहजहाँ (1628-1658) – Mugal kal history in hindi 

जहांगीर की मृत्यु के बाद उसका दूसरा बेटा खुर्रम1628 में मुग़ल शासन की गद्दी पर बैठा। खुर्रम ने शाहजहाँ की उपाधि धारण की जिसका अर्थ होता है पूरी दुनिया का सम्राट। खुर्रम यानी शाहजहाँ ने कंधार तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया और दक्षिणी भारत के अधिकांश क्षेत्रों में अपना शासन स्थापित कर लिया। शाहजहाँ के शासन के दौरान मुगल साम्राज्य अपने चरम पर था। उसके शासनकाल के दौरान दुनिया ने मुगल साम्राज्य की कला और संस्कृति के अद्वितीय विकास को देखा। जिसकी वजह से आज भी शाहजहाँ को “वास्तुकार राजा” कहा गया है। दिल्ली के लाल किला और जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ द्वारा ही करवाया गया था। आगरा में स्थित ताजमहल के लिए आज भी शाहजहाँ को याद किया जाता है।

याद रखने योग्य बातें

  • शाहजहाँ के शासनकाल में दो फ्रांसीसी बर्नियर और तवरनिेर  और इतालवी मनुक्की ने दरबार  का दौरा किया था।
  •  दिल्ली में लाल किला और जामा मस्जिद, आगरा में मोती मस्जिद और ताजमहल का निर्माण उसकी के शाहजहाँ के द्वारा करवाया गया था।
  • शाहजहाँ ने अहमदनगर और बीजापुर को कब्जे में ले लिया था।

औरंगजेब (1658-1707) – mugal vansh in hindi

औरंगजेब ने 1658 में सिंहासन पर चढ़ा और 1707 तक सर्वोच्च शासन किया। उसने वर्षों तक शासन किया, जो मुग़ल शासक अकबर के शासन काल के बराबर है। औरंगजेब ने शाही दरबार से अपने पांचों बेटों को दूर रखा क्योंकि उनमें से कोई भी सरकार की कला में प्रशिक्षित नहीं था। यह बाद में मुग़ल शासन के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। अपने 50 वर्षों के शासन के दौरान, औरंगजेब ने पूरे उप-महाद्वीप एक शासन के तहत लाने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने की कोशिश की। उसके कार्यकाल में मुगल साम्राज्य क्षेत्र के मामले में अपने चरम पर पहुंच गया था। इसके लिए उसने कई सालों तक मेहनत की लेकिन 1707 में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उसने अपने मरने पर कोई भी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं छोड़ी। उसकी मृत्यु के बाद ही और शक्तिशाली मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया। (mughal samrajya patan ke karan)

याद रखने योग्य बाते

  • औरंगजेब इस्लामी धर्मशास्त्र और न्यायशास्त्र के महान विद्वान था।
  • 1675 ई में नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर की मार दिया था।
  • औरंगजेब दरवेश या एक जिन्दा फकीर के नाम से जाना जाता है।
  • उसके द्वारा सती प्रथा को अस्वीकृति दिया था।
  • औरंगजेब के द्वारा औरंगाबाद में बीवी का मक़बरा ,दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद; लाहौर में जामी या बादशाही मस्जिद निर्मित किया।

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